Zabeeh Afaque's profile

Meeting the nomads in Himachal

Meeting the nomads in the mountains
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उसकी आँखें हैं की इक डूबने वाला इंसान
दूसरे डूबने वाले को पुकारे जैसे
-इरफ़ान सिद्दीक़ी
एकटक आँखों में ग़ैरों के लिए उसने
रख रखा था
जमजम का पानी, मैंने कहा
गुड़िया, झपको 
अब आँखें बहने दो पानी, की 
जहाँ से आता हूँ मैं -
वहाँ के 
चुप है तलाब 
चुप है कहानी ।

बाब-ए-इल्म है -
टूटे घर पर
अब भी तुम्हारे,
अब्बू जो भरते हैं ताले में चाभी !
किताबों से निकल कर तितलियाँ ग़ज़लें सुनाती हैं
टिफ़िन रखती है मेरी माँ तो बस्ता मुस्कुराता है

-सिराज फ़ैसल ख़ान
अपने बच्चों को मैं बातों में लगा लेता हूँ
जब भी आवाज़ लगाता है खिलौने वाला

-राशिद राही
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उसकी आँखें हैं की इक डूबने वाला इंसान दूसरे डूबने वाले को पुकारे जैसे -इरफ़ान सिद्दीक़ी

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